..लें संकल्प नशा मुक्ति का अगर, यह जहर न फैले गांव-शहर

नशे के अंधेरे में आशा का उजाला साबित हो रहा जे.आर. टांटिया चैरिटेबल नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र, श्रीगंगानगर।


नशा विनाश है, नशा जहर। लें संकल्प नशा मुक्ति अगर, यह जहर न फैले गांव-शहर। इस तरह की सोच और संकल्प के साथ समर्पण भाव से जुटा हुआ है जे.आर. टांटिया चैरिटेबल नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र। हनुमानगढ़ रोड पर टांटिया विश्वविद्यालय परिसर स्थित डॉ. एस.एस. टांटिया एमसीएच एंड रिसर्च सेंटर (जन सेवा हॉस्पिटल) परिसर में चल रहा यह केेंद्र नशे के अंधेरे में आशा का उजाला साबित हो रहा है। श्रद्धेय डॉ. श्यामसुन्दर जी टांटिया ने वर्ष 1986 में नशा मुक्ति तथा मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो पौधा लगाया था, वह वट वृक्ष बन चुका है और श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले के लोग ही नहीं पंजाब-हरियाणा सहित देश के अनेक राज्यों के लोग इस केंद्र के माध्यम से लाभान्वित हो रहे हैं। केंद्र के अध्यक्ष डॉ. विशु टांटिया, परियोजना निदेशक डॉ. विकास सचदेवा, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट एंड काउंसलर डॉ. मनीष अरोड़ा एवं उनकी टीम मनोयोग से जुटी रहती है और सफलता प्राप्त कर मरीजों तथा उनके परिजनों की अपेक्षाओं पर खरा उतरती है।

हमारी विशेषताएं ...

जे आर टाटिया चैरिटेबल नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र विशेषताओं से भरपूर है। नशा पीडि़तों को बुरा ना मान कर बीमार व्यक्ति माना जाता है, प्रेम और सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार किया जाता है। उपयोगी और जीवन बदलने वाले साहित्य को आधार रख कर कक्षाएं होती है, विचारों में परिवर्तन किया जाता है। इससे बीमारी के प्रति एक नई और व्यावहारिक समझ विकसित कर पाते हैं तथा नशे में किए गए गलत कार्यों के कारण जो अपराध बोध और भय आ जाता है, उससे मुक्त होते हैं। केंद्र में पीडि़त व्यक्ति को शुद्ध शाकाहारी, पौष्टिक और सात्विक आहार दिया जाता है। पीडि़तों से भोजन नहीं बनवाया जाता। स्वच्छ पानी के लिए आर ओ प्लांट लगा हुआ है। केंद्र में वाटर कूलर, वाशिंग मशीन, गीजर, अग्निशमन यंत्र ,ऑक्सीजन सिलेंडर तथा अन्य आवश्यक चिकित्सकीय उपकरण मौजूद है। नशा पीडि़तों को केंद्र में लाने के लिए वाहन सुविधा उपलब्ध है। पूरे समय वोलेंटियर मौजूद रहते हैं।

योग, प्राणायाम व ध्यान ...

शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए नियमित योग, प्राणायाम, ध्यान करवाया जाता है। विभिन्न प्रकार इनडोर खेलों के माध्यम से नशे से दूर, अन्य मनोरंजन के साथ जीना सिखाया जाता है। यह उन विशिष्ट नशा मुक्ति केंद्रों में से एक है जहां नशा पीडि़तों को खुला परिवेश उपलब्ध करवाया गया है। धूप लेते है, बैडमिंटन, चेयर रेस आदि खेल खेले जाते हंै। लगातार नशे करने के कारण व्यक्ति के विचार अस्थिर तथा संकल्प शक्ति कमजोर हो जाती है, इस समस्या को दूर करने लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक शिरोधारा करवाते हैं, यह विचारों में स्थिरता लाने के लिए बहुत पुरानी तकनीक है। बहुत से लोगों को मानसिक परेशानियां जैसे इंसोमेनिया, एंजाइटी, डिप्रेशन, फोबिया या अन्य हो जाती है उनके निदान के लिए मनोचिकित्सक (साइकिएट्रिस्ट) की आवश्यकता होती है, यह सुविधा केंद्र में उपलब्ध है। कुंजल क्रिया, वस्ति, शंख प्रक्षालन आदि योग क्रियाओं के जरिए शरीर में फैले जहर को निकाला जाता है।